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Khesari Lal Biography in Hindi
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Khesari Lal Biography in Hindi

 Khesari Lal Biography in Hindi – भोजपुरी सिनेमा के धमकेदार और स्टार हीरो खेसारी लाल यादव को भोपुरिया समाज बहुत पसन्द करता है यह आज के भोजपुरिया समझ के सबसे बड़े और उभरते हुए कलाकार और हीरो है। इनका जन्म 3 जुलाई 1986 को सिवान, छपरा, बिहार में हुआ था इस समय (2020) यह 34-35 साल के हो रहे है।

इनके पिता का नाम मंगरु लाल यादव (Mangru Lal Yadav) और माता एक गृहणी है। खेसारी हिन्दू धर्म के अहीर जाति यादव से है। वर्ष 2012 में आयी भोजपुरी फिल्म “Saajan Chale Sasural” से भोजपुरी सिनेमा में प्रसिद्ध हुए थे। आज इनको भोजपुरी समाज ने सुपरस्टार बना दिया है। इनकी फिल्मों की शूटिंग ज्यादातर बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, गुजरात और बंगाल में होती है कई फिल्मों में ये विदेशों में जाकर भी शूटिंग किये है। Khesari Lal Yadav Wiki, Age, Wife, Family, Biography & More…खेसारी लाल यादव का वो गाना जिसने इनको भोजपुरी दुनिया में आने का रास्ता दिया था “Saiyan Arab Gaile Na” कहा जाता है इसी एल्बम से खेसारी को बहुत सफलता मिली थी।

Khesari Lal Biography in Hindi – संछिप्त (जीवनी)


नाम – खेसारी लाल यादव
उपनाम – शत्रुघ्न यादव एवं हॉट स्टार
जन्म – 3 जुलाई 1986
जन्म स्थान – सिवान, छपरा, बिहार भारत
पिता का नाम – मंगरु लाल यादव, माता का नाम ज्ञात नहीं
पत्नी का नाम – चंदा देवी (Chanda Devi)
सन्तान – 2 ऋषव यादव (RishavYadav) कीर्ति यादव (Kriti Yadav)
काम पेशा – Bhojpuri Actor, Singer and Model
पसंदीदा खेल – क्रिकेट
पसंदीदा कार – फरारी, बुलट, 2 फॉर्चूनर, स्कार्पियो
पसंदीदा शौक – 4 से 6 लाख तक की सोने की चैन पहनना
मुंबई में 5 करोड़ का मकान है खेसारी लाल का।

खेसारी लाल यादव के बारे में कहें तो इनका बचपन सिवान, छपरा, बिहार में बिता बचपन में भैंस भी चराया करते थे कुछ बड़े हुए तो ये दिल्ली अपने पापा के वहां चले गए जहाँ इन्होने अपने पिता के साथ लिटी चोखा बेचते थे। उन दिनों की बात है खेसारी लाल यादव अपने काम से थोड़ा समय निकालकर गाना गा लेते थे। इनको छोटे मोटे शो पर गाने को मिल जाता था जिससे इनको कुछ और पैसे मिल जाते थे। कुछ दिनों तक ऐसे सिलसिला चलता है इसके बाद इन्होंने एक एल्बम बनाया “Saiyan Arab Gaile Na” जो बहुत फेमस हुआ, इसने खेसारी लाल यादव का पूरा जीवन ही बदल डाला और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में ला खड़ा कर दिया।

गरीबी क्या होती है खेसारी लाल यादव से अच्छा इसके बारे में कोई नहीं जनता है इन्होने खुद कई बार अपने इंटरव्यू में अपने उन दिनों के बारे में बताया है जब वो दिल्ली में अपने पिता के साथ रहते थे। समय का खेल ऐसा की आज ये भोजपुरी इंडस्ट्री के सबसे ज्यादा पैसा लेने वाले हीरो बन रहे है, बताया जाता है की खेसारी लाल एक फिल्म का पचास लाख रुपया लेते है।

पढ़ाई लिखाई – स्कूली शिक्षा

खेसारी लाल यादव ज्यादा पढ़े लिखे तो नहीं है मगर वो एक बहुत अच्छे इन्सान है लोगों की मदत बहुत करते है। उन्होंने कई बार अपने समाज और देश की सेवा के लिए दान भी दिए है गाँव के उच्च प्राथमिक विद्यालय से पढ़ाई की उसके बाद हाई स्कूल किया बस उसके आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। उनको बचपन से ही गाने का बहुत शौक था इसलिए वो पढ़ाई में उतना मन नहीं लगाते थे यही सब वजह और परिवार की कुछ समस्या के कारण वो आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। आज वो अपने बच्चों को बहुत ही अच्छे स्कूल में पढ़ाते है ताकि उनके बच्चे खूब अच्छे से पढ़ सके।

Khesari Lal Biography in Hindi – Career

बताया जाता है की खेसारी “Maal Bhetai Mela Mein.” एल्बम से अपने कैरियर को शुरू किया था। मशहूर अभनेत्री काजल राघवानी उनकी गर्लफ्रेंड भी रही है। इन्होने ने कई हिट एवं सुपर हिट फिल्म की है।

खेसारी लाल यादव की फिल्में – (Khesari Lal All Movies – फिल्मोग्राफी)

खेसारी लाल भोजपुरी सुपरस्टार की सभी फिल्में एक साथ एक ही जगह पर Khesari Lal Movie List, Khesari Lal Movies, Khesari Lal all movies, Khesari Lal upcoming movies, खेसारी ने अभी तक भोजपुरी सिनेमा को इतनी फिल्में दी है। आने वाले समय में इनकी और भी कई फिल्में भोजपुरी सिनेमा में तहलका मचाने के लिए आ रही है।

2011 साजन चले ससुराल, जान तेरे नाम, नागीन
2012 दिल ले गई ओढनिया वाली, देवरा पे मानवा डोल, सपूत, लाल दुपट्टा मलमल का, लहू के क्या रंग
2013 दूध का कर्ज़, संसार, तेरे कसम, एक बलमा बिहार वाला, प्यार झुकता नहीं, दिल ले गई ओढनिया वाली 2
2014 बेताब, छपरा एक्सप्रेस, खून भरी माँग, चरणों की सौगंध
2015 प्रतिज्ञा 2, जो जीता वही सिकंदर, जानेमन, हथकड़ी, हीरो नंबर 1, इन्तेक़ाम, बंधन
2016 साजन चले ससुराल 2, खिलाड़ी, होगी रोमांस की जीत, दबंग आशिक, ज्वाला, दिलवाला, मेहँदी लगा के रखना
2017 जिला चंपारण, पटना से पाकिस्तान
2018 दुल्हन गंगा पार के, Balam Ji Love You, Dabang Sarkar, Sangharsh, Naagdev, Damru
2019 Baaghi Ek Yoddha, Cooli No.1, Bhag Khesari Bhag, Meri Jung Mera Faisla
2020 परदेसी, Muqaddar, जाल, आरोप, Hero हीरा लाल, जानवर, खेसारी सुपरमैन, ईमानदार चोर, भतार नंबर 01, पुनर्जन्म, दम, DILWALE & Raja Jaani

खेसारी लाल भोजपुरी सुपरस्टार – सम्मान और पुरस्कार

2016 भोजपुरी का बेस्ट पॉपुलर एक्टर अवार्ड
2017 Dadasaheb Phalke Academy Award
2017 उत्तर प्रदेश रत्न अवार्ड UP Ratan Award

खेसारी लाल यादव से जुडी कुछ और जानकारी – Khesari Lal Biography in Hindi

  • कहा जाता है की खेसारी लाल BSF की नौकरी छोड़कर singing and dancing के सेक्टर में आये थे।

  • खेसारी को अपने परिवार का समर्थन करने के लिए अपनी पत्नी चंदा के साथ लिट्टी चोखा बेचना पड़ा।

  • अपने संघर्ष के दिनों में खेसारी लाल स्थानीय विवाह समारोहों में गायन और नृत्य करते थे।

  • बताया जाता है बचपन में खेसारी लाल रामायण या महाभारत गाते हुए अत्यधिक बात करते थे।

  • खेसारी लाल यादव Pawan Singh, and Dinesh Lal Yadav के साथ भी कई फिल्मों में काम किया है।

  • वर्ष 2019 में खेसारी लाल Bigg Boss House Season 13 में शामिल हुए थे।

  • Maal Bhetai Mela Mein एल्बम से अपने कैरियर की शुरुआत की थी।

  • Saiyan Arab Gaile Na इनका सबसे सुपरहिट एल्बम था।

  • बताया जाता है की खेसारी लाल अमिताभ बच्चन और अभनेत्री काजोल को पसन्द करते है यानि ये दोनों इनके फेवरेट है।

  • खेसारी लाल की सम्पति  – 15 to 20 Cr. तक बताई जाती है।


akhilesh yadav biography in hindi
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akhilesh yadav biography in hindi

 यूपी में लोकसभा की 80 सीटों पर चुनाव हो या प्रदेश की 403 व‍िधानसभा सीटों पर चुनाव हो बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा सपा प्रमुख अखिलेश यादव हैं। साल 2012 में वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, लेक‍िन ये कहानी उस समय शुरु हुई जब इमरजेंसी लागू होने के बाद पूरे भारत में राजनीत‍िक हलचल मच गई थी।

इस दौर में द‍िल्‍ली से 300 क‍िमी दूर यूपी के इटावा में भी तनाव था। इमरजेंसी लागू होने के थोड़े द‍िन बाद उत्‍तर प्रदेश के उभरते और नौजवान नेता मुलायम स‍िंह यादव को ह‍िरासत में ले ल‍िया गया। लेक‍िन घर वालों को मुलायम स‍िंह यादव से ज्‍यादा फ‍िक्र क‍िसी और की थी, और वो कोई और नहीं दो साल का नन्‍हा टीपू (अख‍िलेश यादव) था। राजनीत‍िक उठापटक के बीच घर वालों की आंखों के तारे बने नन्‍हें अख‍िलेश को नहीं पता था क‍ि उसे एक द‍िन देश के सबसे बड़े सूबे का मुख‍िया बनना है।

प्रदेश में ही नहीं देश में समाजवादी स‍ियासत का एक मकाम बनना है। मुलायम पर‍िवार की पहचान बनना है और राजनीत‍ि में अपना नाम कमाना है और खुद को एक स‍ियासी ब्रांड बनाना है। अख‍िलेश को राजनीत‍ि प‍िता मुलायम स‍िंह यादव से म‍िली, बावजूद इसके अख‍िलेश में खुद ऐसा क्‍या है जो उन्‍हें देश की स‍ियासत के पहले नेताओं में खड़ा करता है।


सैफई में हुआ था अख‍िलेश का जन्‍म

वर्ष 1973 की एक जुलाई को इटावा के सैफई में मुलायम स‍िंह यादव के घर पत्‍नी मालती देवी ने बेटे को जन्‍म द‍िया। जब बेटे का जन्‍म हुआ उस समय भी मुलायम स‍िंह गांव से दूर ही थे। उस समय मुलायम स‍िंह जन संपर्क के साथ जैन इंटर कॉलेज में लेक्‍चरार भी थे। अख‍िलेश के चाचा अभय राम को उनका बचपन अच्‍छे से याद है। उन्‍होंने बताया क‍ि अखिलेश चार साल तक गांव में पले-बढ़े। चार साल बाद अख‍िलेश को इटावा बुला ल‍िया गया। इसके कुछ द‍िन बाद अख‍िलेश अपनी शुरुआती पढ़ाई के ल‍िए धौलपुर चले गए। चाचा की मानें तो बचपन में भी अख‍िलेश कभी चुप नहीं रहे न ही कभी एक जगह बैठे।

अख‍िलेश ने खुद रखा था अपना नाम

अख‍िलेश जब चार साल के थे तब उनका दाख‍िला इटावा के सेंट मेरी स्‍कूल में करवाया गया। जब अख‍िलेश स्‍कूल में दाख‍िला लेने गए इस दौरान भी मुलायम स‍िंह यादव उनके साथ नहीं थे। आमतौर पर घर के बड़े या माता प‍िता बच्‍चे का नाम रखते हैं लेक‍िन इस बच्‍चे ने अपना नाम खुद चुना। चाचा श‍िवपाल यादव बताते हैं क‍ि जब इटावा में कॉन्‍वेंट स्‍कूल में एडमीशन कराया गया तब इनका नाम अख‍िलेश रखा गया।

जब अख‍िलेश के स्‍कूल जाने पर लग गई थी रोक

अख‍िलेश अपने चाचा राजपाल के साथ बैठकर स्‍कूल आया जाया करते थे। पर स्‍कूल आने-जाने का ये स‍िलस‍िला ज्‍यादा द‍िनों तक नहीं चला। ये वो दौर था जब प्रदेश में राजनीत‍िक हालात तेजी से बदल रहे थे। भारतीय जनता पार्टी की आपसी कलह के बाद यूपी सरकार ग‍िर गई। मुलायम स‍िंह यादव मंत्री नहीं रहे। दूसरी ओर इटावा की स‍ियासी हवा भी बदल रही थी। इटावा से सटे चंबल में डाकुओं का जोर बढ़ रहा था। चंबल के डाकू जात‍ि और राजनीत‍िक खेमों में बंट रहे थे। मुलायम पर यह आरोप लगा क‍ि प‍िछड़ी जाति के डाकुओं को उनकी सह म‍िल रही है। ऐसे माहोल में मुलायम स‍िंह को बेटे की सुरक्षा की फ‍िक्र होने लगी। च‍िंता इतनी ज्‍यादा बढ़ गई क‍ि वर्ष 1980 में अख‍िलेश का स्‍कूल जाना बंद करा द‍िया गया।

अख‍िलेश ने घर पर शुरु की पढ़ाई

अख‍िलेश ने अभी तीसरी क्‍लास तक की ही पढाई की थी। तीसरी कक्षा के बाद अख‍िलेश को घर पर ही पढ़ाया जाने लगा। अंग्रेजी के श‍िक्षक अवध क‍िशोर बाजपेई को पढ़ाने की जिम्‍मेदारी दी गई। अख‍िलेश को बाहर के क‍िसी बड़े स्‍कूल में दाख‍िले की तैयारी कराई जा रही थी। श‍िक्षक अवध क‍िशोर बाजपेई बताते हैं क‍ि मुलायम स‍िंह खुद घर आए थे। उन्‍होंने बेटे का हाथ मेरे हाथ में रखा और कहा क‍ि अब तुमको ही देखना है। हमारे यहां कोई अंग्रेजी जानने वाला नहीं है। आगे की पढ़ाई के ल‍िए अख‍िलेश का ग्‍वाल‍ियर के स‍िंध‍िया स्‍कूल भेजा जाना था लेक‍िन फ‍िर फैसला बदल द‍िया गया।

मिलिट्री स्‍कूल धौलपुर में अख‍िलेश का हुआ दाखिला

अख‍िलेश के टीचर रहे अवध क‍िशोर ने धौलपुर मिलिट्री स्‍कूल का नाम सुझाया और मुलायम स‍िंह मान गए। पहाड़ी पर बसे मिलिट्री स्‍कूल से अख‍िलेश के नए सफर की शुरुआत हुई। यहां अख‍िलेश ने कक्षा छह में दाख‍िले की परीक्षा पास की और फ‍िर इंटरव्‍यू हुआ। अख‍िलेश को मिलिट्री स्‍कूल में दाख‍िला म‍िला और उस समय एडमीशन फीस लगी 2950 रुपये। मुलायम स‍िंह यादव के आग्रह पर अख‍िलेश को उदयभान हॉस्‍टल म‍िला। स्‍कूल के कड़े अनुशासन के बीच अख‍िलेश ने चिट्ठी शुरु क‍िया। ज‍िसमें कभी उन्‍होंने अपना नाम टीपू तो की ए यादव ल‍िखा।

12वीं के बाद अख‍िलेश ने मैसूर के इंजीन‍ियर‍िंग कॉलेज से क‍िया बीटेक

अख‍िलेश ने 12वीं तक की पढ़ाई धौलपुर स्‍कूल से की। इस दौरान वो घर पर‍िवार के माहोल से दूर रहे। उन द‍िनों अख‍िलेश की मां बीमार रहती थी। प‍िता मुलायम स‍िंह यादव राजनीति में व्‍यस्‍त थे। एक बार मुलायम स‍िंह ने बेटे के ल‍िए चिट्ठी ल‍िखी। ज‍िसमें उन्‍होंने ल‍िख मेहनत से पढ़ाई करो। काम आएगा। धौलपुर मिलिट्री स्‍कूल के सात सालों ने अख‍िलेश को रफ टफ बना द‍िया था। यहां 12वीं की पढ़ाई के बाद छात्र आमतौर पर सेना की सेवा में जाना पसंद करते हैं लेक‍िन अख‍िलेश ने कुछ और ही सोच रखा था। बाद में इरादा बदला और वो मैसूर के इंजीन‍ियर‍िंग कॉलेज में एनवायरमेंटल स्टडीज की पढ़ाई करने चले गए।

अख‍िलेश की ज‍िंदगी में दोस्‍त बनकर आईं ड‍िंपल यादव

अख‍िलेश ने यहां श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाख‍िला ल‍िया। उस समय मुलायम स‍िंह यूपी के मुख्‍यमंत्री थे। अख‍िलेश प‍िता के रुतबे और स‍ियासी छाया से दूर मैसूर में एक आम छात्र के रूप में पहुंचे थे। मैसूर से बीटेक करने के बाद अख‍िलेश लखनऊ लौट आए। वो एनवायरमेंटल सांइस से एमटेक करना चाहते थे। कहां से करना है यह तय नहीं था। अख‍िलेश लखनऊ में अपना खाली वक्‍त दोस्‍तों के साथ ब‍िताते। उन्‍हीं द‍िनों एक कॉमन फ्रेंड के जर‍िए अख‍िलेश ज‍िंदगी में एक लड़की दोस्‍त बनकर आई। नाम था ड‍िंपल यादव।

लखनऊ में पढ़ाई कर रही थीं ड‍िंपल, अख‍िलेश ने ल‍िया स‍िडनी जाने का फैसला

ड‍िंपल उस समय लखनऊ में पढ़ाई कर रही थीं। ड‍िंपल उत्‍तराखंड की थीं और प‍िता सेना में अफसर थे। दोनों के बीच बातचीत और मुलाकातों का दौर शुरु हुआ और दोनों एक दूसरे को पंसद करने लगे थे। लेक‍िन अख‍िलेश और ड‍िंपल के प्रेम को अभी लंबे संघर्ष से गुजरना था। इस दौरान अख‍िलेश ने एमटेक की पढ़ाई के ल‍िए यूनिवर्सिटी ऑफ स‍िडनी में दाख‍िला लेना तय क‍िया। अख‍िलेश के ल‍िए देश से बाहर जाने का यह पहला अनुभव था। अख‍िलेश स‍िडनी में खामोशी के संग ड‍िंपल के साथ ज‍िंदगी के सफने बुन रहे थे तो दूसरी तरफ मुलायम स‍िंह के स‍ियासी जीवन में हलचल मची थी।

अख‍िलेश और ड‍िंपल का प्‍यार चढ़ रहा था परवान

वर्ष 1996 में मुलायम स‍िंह चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। वहीं केन्‍द्र में अटल ब‍िहारी वाजपेई की सरकार स‍िफ्र 13 द‍िन चल पाई थी। बहुमत साब‍ित करने से पहले ही उन्‍होंने इस्‍तीफा दे द‍िया। वाजपेई सरकार ग‍िरते ही लेफ्ट और कई क्षेत्र‍िय पार्ट‍ियों का संयुक्‍त मोर्चा सक्र‍िय हो गया। इसमें मुलायम स‍िंह की अगुवाई वाली समाजावादी पार्टी भी थी। संयुक्‍त मोर्चा ने कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का फैसला क‍िया। प्रधानमंत्री पद की रेस में मुलायम स‍िंह यादव का नाम भी सामने आया। लेक‍िन संयुक्‍त मोर्चें का एक धड़ा मुलायम स‍िंह को प्रधानमंत्री बनाने के समर्थन में नहीं था। खींचतान के बीच एडी देवगौड़ा पीएम बने और मुलायम स‍िंह को इस सरकार में रक्षा मंत्री का पद म‍िला। यूपी से द‍िल्‍ली तक मुलायम राजनीत‍ि के दांव पेंच में फंसे थे। इस सब से दूर स‍िडनी में ज‍िंदगी अख‍िलेश को एक नए मोड़ पर ले आई थी। इन द‍िनों अख‍िलेश और ड‍िंपल के बीच प्‍यार परवान चढ़ रहा था।

अख‍िलेश ने ड‍िंपल से शादी करने की जताई ख्‍वाह‍ित तो ठुकरा नहीं सके मुलायम

अख‍िलेश जब स‍िडनी से लौटे तो उनपर शादी करने का दबाव बनाया जाने लगा। वहीं, अख‍िलेश ने पर‍िवार वालों को अभीतक ड‍िंपल और अपने र‍िश्‍ते के बारे में कुछ नहीं बताया था। लेक‍िन ये बात ज्‍यादा द‍िनों तक क‍िसी से छ‍िप नहीं सकी। बताया जाता है लालू प्रसाद यादव ने अख‍िलेश से अपनी बेटी की शादी की बात चलाई थी। वहीं मुलायम भी बेटे की शादी को लेकर पर‍िवार के दबाव में थे और बेटे की ज‍िंदगी की सबसे बड़ी ख्‍वाह‍िश को मुलायम ठुकरा नहीं पाए और मान गए। व‍िवाह का कार्यक्रम सैफई में रखा गया। इस शादी में जुटे मेहमानों से मुलायम के राजनीत‍िक कद और लोकप्र‍ियता का अंदाजा लगाया जा सकता था। 24 नवंबर 1999 में हुए शादी समारोह में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल ब‍िहारी वाजपेई समेत देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, वीपी स‍िंह, चंद्रशेखर मौजूद थे। अलग-अलग राजनीत‍िक दलों के कई राजनी‍त‍िक द‍िग्‍गजों से लेकर उद्योग और फ‍िल्‍म जगत की हस्‍त‍ियों का हुजूम सैफई में जुटा था। शादी के बाद अख‍िलेश और ड‍िंपल की नई ज‍िंदगी शुरु हुई थी।

अख‍िलेश यादव की राजनीत‍ि में एंट्री का दौर

साल 1999 के लोकसभा चुनाव में मुलायम स‍िंह ने संभल और कन्‍नौज दो लोकसभा सीटों से चुनाव जीता था। बाद में मुलायम ने कन्‍नौज लोकसभा सीट छोड़ने का फैसला क‍िया। कन्‍नौज लोकसभा सीट के उपचुनाव में कई दावेदार थे। लेक‍िन आख‍िर में इस सीट से मुलायम ने बेटे अख‍िलेश को उम्‍मीदवार बनाया। कन्‍नौज सीट से अख‍िलेश की उम्‍मीदवारी की घोषणा होते ही समाजवादी पार्टी पर चारो ओर से वंशवाद की राजनीत‍ि का हमला होने लगा। ये वही कन्‍नौज सीट थी जहां से समाजवादी आन्‍दोलन के पुरोधा राममनोहर लोह‍िया जीतकर संसद पहुंचे थे।

सपा का युवा तबका अख‍िलेश यादव को मानने लगा नेता

राजनीत‍ि के दांव पेंच, चुनावी रणनीत‍ि, प्रचार का तरीका, स‍ियासत का मंच ये सब अख‍िलेश के ल‍िए ब‍िलकुल नया था। 27 साल के अख‍िलेश ने पेंट शर्ट और जींस पहनना छोड़कर खादी का सफेद कुर्ता पायजामा, काली जैकेट और काले जूते पहन ल‍िए। अख‍िलेश ने ज‍िंदगी का पहला चुनाव कन्‍नौज से जीता और एंट्री हुई और यहां से शुरु हुई धरतीपुत्र कहे जाने मुलायम स‍िंह यादव के युवराज को व‍िरासत सौंपने की कहानी की। अख‍िलेश के सपा में आने से एक बड़ा बदलाव आया। पार्टी का एक युवा तबका अख‍िलेश को अपने नेता के चेहरे के रूप में देखने लगा।

जब सड़को पर उतर अख‍िलेश ने भाजपा सरकार के ख‍िलाफ खोला मोर्चा

साल 2001 में यूपी में बीजेपी की सरकार थी। मुख्‍यमंत्री राजनाथ स‍िंह थे। यूपी व‍िधानसभा चुनाव की दहलीज पर था और अख‍िलेश युवा ब्रिगेड के साथ सड़कों पर उतरे। वो बीजेपी के ख‍िलाफ खुलकर हल्‍ला बोल रहे थे। कन्‍नौज में अख‍िलेश ने कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी दी। अख‍िलेश के इस तेवर ने समाजवादी पार्टी में नई जान फूंक दी। वर्ष 2002 का व‍िधानसभा चुनाव था। मुलायम स‍िंह एक बार फ‍िर चुनावी मैदान में थे। तय हुआ क‍ि पार्टी के प्रचार का चेहरा अख‍िलेश को बनाया जाए।

अख‍िलेश यादव ने यूपी में न‍िकाली क्रांत‍ि रथ यात्रा

अख‍िलेश यादव की अगुवाई में क्रांत‍ि रथ यात्रा न‍िकाली गई। 2002 के व‍िधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सरकार बनाने में असफल रही। मायावती ने बीजेपी से हाथ म‍िला ल‍िया और यूपी में गठबंधन की सरकार बनी और मायावती मुख्‍यमंत्री बन गईं। बीजेपी और बीएसपी का गठबंधन डेढ़ साल भी नहीं चल पाया। इसके बाद मुलायम बीएसपी के बाग‍ियों और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रहे। 2009 लोकसभा चुनाव में अख‍िलेश कन्‍नौज और फ‍िरोजाबाद सीट से खड़े हुए और दोनो पर जीत गए।

अखिलेश ने फ‍िरोजाबाद लोकसभा सीट छोड़ी तो ड‍िंपल को म‍िला ट‍िकट

फ‍िरोजाबाद सीट से हुए उपचुनाव में बहू ड‍िंपल यादव खड़ी हुईं लेक‍िन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान 2009 में अख‍िलेश को सपा का प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया। पहले ये पद चाचा श‍िवपाल यादव के पास था। 2012 व‍िधानसभा चुनाव से पहले अख‍िलेश फुल फार्म में थे। एक बार फ‍िर क्रांत‍ि रथ यात्रा न‍िकाली गई। कई जगह साइक‍िल यात्रा भी न‍िकाली। वो मायावती सरकार के ख‍िलाफ आन्‍दोलनों की अगुवाई कर रहे थे।

अखिलेश बने देश के सबसे बड़े सूबे के सबसे कम उम्र के सीएम

2012 में 403 व‍िधानसभा सीट पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी को 224 सीट म‍िली। इस जीत के साथ यह तय हो गया क‍ि अख‍िलेश ही यूपी के मुख्‍समंत्री बनेंगे। अख‍िलेश यादव पहली बार मुख्‍समंत्री बने थे। उनकी कैब‍िनेट में श‍िवपाल यादव और आजम खां थे और सबसे ऊपर मुलायम स‍िंह यादव। फ‍िर आया वर्ष 2017 जब पार्टी से श‍िवपाल को साइड लाइन कर द‍िया गया और अख‍िलेश ने पार्टी की बागडोर अपने हाथ मे ले ली।

जब फ‍िर एक हो गए चाचा श‍िवपाल और अख‍िलेश

इस दौरान समाजवादी पार्टी की कलह मंचों पर आ गई। श‍िवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई प्रगत‍िशील समाजवादी पार्टी लोह‍िया बना ली। मुलायम स‍िंह यादव की मौत के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर जब उपचुनाव हुए और ड‍िंपल के साथ अख‍िलेश ने चाचा श‍िवपाल से सुलह कर ली। ड‍िंपल को मैनपुरी सीट से प्रचंड जीत हास‍िल हुई ज‍िसके बाद श‍िवपाल यादव एक बार फ‍िर समाजवादी पार्टी में शाम‍िल हो गए और उन्‍हें महासच‍िव का पद द‍िया गया।

अखिलेश यादव का राजनीतिक सफर

  • 2000 में पहली बार कन्नौज से लोकसभा सदस्य चुने गए। और उसके बाद उन्होंने लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीता।

  • वह खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य भी थे। उन्होंने 2000 से 2001 तक नैतिकता समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।

  • वह 2002 से 2004 तक पर्यावरण और वन समिति और विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति के भी सदस्य थे।

  • दूसरे कार्यकाल के लिए, उन्हें 2004 में 14वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में फिर से चुना गया।

  • 2004 से 2009 तक, उन्होंने शहरी विकास समिति, अनुमान समिति, विभिन्न विभागों के लिए कंप्यूटर के प्रावधान संबंधी समिति सहित विभिन्न समितियों की सदस्यता संभाली।

  • इसके बाद वह 2009 में 15वीं लोकसभा के सदस्य बने और तीसरी बार फिर से निर्वाचित हुए।

  • उन्होंने 2009 से 2012 तक पर्यावरण और वन समिति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी के सदस्य के रूप में भी कार्य किया।

  • 10 मार्च 2012 को उन्हें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नेता नियुक्त किया गया।

  • 15 मार्च 2012 को 38 साल की उम्र में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने।

  • उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य में विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए 2 मई 2012 को 15वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया।

  • 2017 के विधानसभा चुनाव में, यादव के नेतृत्व वाला सपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने में सक्षम नहीं था और इसलिए उन्होंने 11 मार्च को राज्यपाल राम नाइक को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

  • मई 2019 में उन्हें आजमगढ़ लोकसभा से संसद सदस्य के रूप में चुना गया।

  • 2022 के व‍िधानसभा चुनाव में अख‍िलेश ने मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव जीता और आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्‍तीफा द‍िया

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उनके प्रमुख कार्य

  • 15 मार्च 2012 को, उन्होंने 38 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

  • उनके कार्यकाल में सबसे कम समय में सबसे आधुनिक और सबसे लंबा एक्सप्रेसवे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बनाया गया

  • उन्होंने यूपी100 पुलिस सेवा, वीमेन पावर लाइन 1090 और "108 एम्बुलेंस सेवा" का भी शुभारंभ किया।

  • उनकी सरकार द्वारा बुनियादी ढांचागत उपलब्धियों की परियोजना में लखनऊ मेट्रो रेल, लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय इकाना क्रिकेट स्टेडियम, जनेश्वर मिश्र पार्क (एशिया का सबसे बड़ा पार्क), जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, आईटी शहर, लखनऊ-बलिया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे शामिल हैं।

  • इसके अलावा, 2012 - 2015 के बीच उनकी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10वीं और 12वीं पास करने वाले छात्रों को 15 लाख से अधिक लैपटॉप वितरित किए गए।

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